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आसनसोल भगदड़ कांड में भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज की

भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज की

आसनसोल :- आसनसोल के चर्चित कंबल वितरण भगदड़ कांड में गिरफ्तार भाजपा नेता व पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी फिलहाल अदालत से राहत नहीं मिली है उन्होंने आसनसोल कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। उस अर्जी पर गुरुवार को सुनवाई हुई। जहां अदालत ने भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। नतीजतन, जितेंद्र तिवारी को फिलहाल पुलिस हिरासत में रहना होगा।

जानकारी के अनुसार भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी द्वारा आसनसोल कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी गई थी। गत मंगलवार को कोर्ट ने उनकी जमानत की अर्जी पर गुरुवार को फैसला सुनाने के लिए दिन निर्धारित किया था। ऐसे में सबकी नजरें कोर्ट के फैसले पर टिकी थी। दिनभर कोर्ट में गहमागहमी का माहौल था जितेंद्र तिवारी के समर्थक काफी संख्या में कोर्ट में जमा हुए थे। आखिरकार जब गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया तो जितेंद्र तिवारी एवं उनके समर्थकों को मायूसी हाथ लगी।

बताया जाता है कि पिछले साल दिसंबर में आसनसोल के आरके डंगाल में कंबल वितरण कार्यक्रम के दौरान भगदड़ में तीन लोगों की कुचलकर मौत हो गई थी। उस घटना में जितेंद्र तिवारी के अलावा उनकी पत्नी चैताली तिवारी, भाजपा पार्षद गौरव गुप्ता और पार्टी के अन्य कार्यकर्ता आरोपी हैं। आसनसोल-दुर्गापुर कमिश्नरेट पुलिस ने पिछले शनिवार को जितेंद्र तिवारी को नोएडा से गिरफ्तार किया था। आसनसोल कोर्ट ने रविवार को जितेंद्र तिवारी को 8 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। हालांकि गौरव गुप्ता और तेज प्रताप की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही अंतरिम रोक लगा दी थी। जितेंद्र तिवारी के वकील शेखर कुंडू ने उस उदाहरण का हवाला देते हुए आसनसोल सीजेएम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी।

कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद जितेंद्र तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और उस मामले की सुनवाई सोमवार को थी। इससे पहले पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सोमवार को जितेंद्र तिवारी के वकील पीएस पटवालिया ने सुप्रीम कोर्ट में आसनसोल-दुर्गापुर कमिश्नरेट पुलिस पर जितेंद्र तिवारी का अपहरण का आरोप लगाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने आदेश दिया कि जितेंद्र तिवारी के वकील की शिकायत के जवाब में राज्य सरकार हलफनामा दाखिल करे। इस मामले की अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद है।

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