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पार्टी ने बड़ा दायित्व सौंपा है, पूरी ईमानदारी से उसे पूरा करूंगा – विष्णु देव नोनिया 

 

रानीगंज :- पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के नए सहायक सभाधिपति विष्णु देव नोनिया उर्फ निराला चुने गए हैं। शपथ ग्रहण के पश्चात उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। लगभग 42 वर्षों से राजनीति में सक्रिय विष्णु देव नोनिया इस बार में पंचायत चुनाव में कजोड़ा क्षेत्र से जिला परिषद के सदस्य चुने गए हैं। वर्ष 2018 में भी वे जिला परिषद सदस्य निर्वाचित हुए थे। इससे पहले उनकी पत्नी रेणु देवी नोनिया वर्ष 2013 में जिला परिषद की सदस्य चुनी गई थी। आखिरकार इस बार विष्णु देव नोनिया को जिला परिषद का सहायक सभाधिपति बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

 

बातचीत के दौरान जिला परिषद के सहायक सभाधिपति विष्णु देव नोनिया ने कहा कि पार्टी के तरफ से उन्हें जो दायित्व सौंपा गया है उसका पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पालन करेंगे। पार्टी ने उनपर जो भरोसा जताया है उसका पाई-पाई का हिसाब अपने कार्यो के जरिए देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने पश्चिम बंगाल की उपेक्षा की है। मनरेगा और आवास योजना समय विभिन्न केंद्रीय योजनाओं की राशि रोककर रखी है। इसलिए पंचायत चुनाव में राज्य की जनता ने भाजपा को सबक सिखा दिया। उन्होंने विपक्षी राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कांग्रेस और माकपा में रह चुके हैं और उनकी असलियत जानते हैं।

 

जिला परिषद के सहायक सभाधिपति विष्णु देव नोनिया ने तृणमूल कांग्रेस के श्रमिक संगठन आईएनटीटीयूसी अनुमोदित कोयला खदान श्रमिक कांग्रेस (केकेएससी) के बजाय एचएमएस से जुड़े हुए हैं। जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के तृणमूल विधायक हरेराम सिंह के नेतृत्व वाले केकेएससी को लेकर उन्होंने कहा कि जब वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे तो शुरुआती दिनों में केकेएससी के साथ जुड़े थे। लेकिन बाद में उन्हें केकेएससी का संगठन ठीक नहीं लगा और उन्होंने तत्कालीन तृणमूल कांग्रेस के जिला नेतृत्व से अनुमति लेकर श्रमिक संगठन एचएमएस का गठन किया। उन्होंने दावा किया कि ऐसे में एकमात्र ऐसा स्वतंत्र संगठन है जो किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा हुआ है।

 

पूर्व मेयर व भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी को लेकर पूछे गए सवाल के जबाब में जिला परिषद के सहायक सभाधिपति विष्णु देव नोनिया ने कहा कि जितेंद्र तिवारी जब मेयर, विधायक व तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष थे तो उनसे अच्छे संबंध थे। लेकिन जितेंद्र तिवारी को उनका अहंकार ले डूबा। तृणमूल कांग्रेस ने जितेंद्र तिवारी को इतना कुछ दिया लेकिन वे खुद को बचाने के लिए भाजपा में चले गए। आज स्थिति यह है कि सुरक्षा कर्मियों के बिना जितेंद्र तिवारी इलाके में कहीं अकेले घूम नहीं सकते है।

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