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‘मिशन रानीगंज’ फ़िल्म को सिनेमाघरों में मिल रहा है औसत रिस्पांस, दो दिनों में हुई 80 प्रतिशत टिकट बिक्री 

 

रानीगंज :- अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ शुक्रवार से ही सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। पहले दिन तो फिल्म को अच्छा रिस्पांस मिला था और सिनेमाघरों में दर्शकों की अच्छी भीड़ थी। ये फ़िल्म रानीगंज के ही महावीर कोलियरी में वर्ष 1989 में हुई दुर्घटना पर आधारित हैं, इसलिए इस फिल्म को रानीगंज में किस तरह का रिस्पांस मिल रहा है यह जानना जरूरी हो गया है। रानीगंज के एकमात्र अंजना सिनेमा हॉल में मिशन रानीगंज फिल्म प्रदर्शित हो रही है। सिनेमा हॉल में जाकर यह जानने का प्रयास किया गया की फिल्म को लेकर दर्शकों में किस तरह का उत्साह है। साथ ही इस फिल्म को देखने के लिए सिनेमा हॉल में हर रोज औसतन कितनी टिकटों की बिक्री हो रही है और टिकटों की एडवांस बुकिंग की स्थिति क्या है।

इस बारे में अंजना सिनेमा हॉल के मालिक रोबिन साव ने बताया कि एक बात तो निश्चित है कि मिशन रानीगंज फिल्म को लेकर लोगों में उत्सुकता है। खास तौर पर युवा पीढ़ी जो महावीर कोलियरी में हुई दुर्घटना के बारे में अनजान थी। इस फिल्म के माध्यम से उन्हें उसे दुर्घटना के बारे में जानने का अवसर मिला है। फिल्म के साथ रानीगंज का नाम जुड़ना भी महत्वपूर्ण है और यहां के लोगों में उत्साह है। इसलिए युवाओं में फिल्म को लेकर ज्यादा क्रेज देखा जा रहा है। टिकटों की बिक्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि टिकटों की बिक्री औसत है। फिल्म को सिनेमा घर में लगे 2 दिन हुए हैं और लगभग 80 प्रतिशत टिकटों की बिक्री हो रही है। यह कमर्शियल फिल्म नहीं है बल्कि सच्ची घटना पर आधारित है। इसलिए दूसरी फिल्मों की तरह इसे रिस्पांस नहीं मिल पा रहा है। फिल्म की ओपनिंग मिला जुलाकर औसत है। रोबिन साव ने कहा कि वीकेंड में फिल्म को ओपनिंग किस तरह की मिलती है, इसपर काफी कुछ निर्भर करता है इसलिए हमें थोड़ा इंतजार करना होगा। सिनेमा घर में इस फिल्म के 4 शो दिखाए जा रहे हैं।

यहां बता देना जरूरी है कि अक्षय कुमार और परिणी‍त‍ि चोपड़ा की फ‍िल्‍म ‘म‍िशन रानीगंज’ में कैप्सूल मैन’ कहे जाने वाले जसवंत के इसी महान काम को ‘मिशन रानीगंज’ में दिखाया गया है। फिल्म की शुरुआत जसवंत बने अक्षय और उनकी पत्नी निर्दोष कौर यानी परिणीति चोपड़ा के साथ शुरू होती है। एक दिन जसवंत को रानीगंज में हादसे की खबर मिलती है और फिर य​हीं से रोमांच का सफर शुरू होता है।

 

फ़िल्म समीक्षक बताते हैं कि कहानी का विषय ही ऐसा ही कि यदि इसे अच्छी तरह से प्रजेंट नहीं किया जाता तो इसकी आत्मा खत्म हो जाती। यहां निर्देशक टीनू देसाई ने फिल्म के पहले शॉट से लेकर क्लाइमैक्स तक पकड़ बनाए रखी है। भय, रोमांच, विश्वास को उन्होंने बखूबी दर्शाया है।

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