रानीगंज के ऐतिहासिक नारायणकुड़ी के मथुराचंडी मंदिर के पास होगा रविंद्र नजरुल संध्या का आयोजन
रानीगंज :- गंधर्व कला संगम के तरफ से आगामी 1 जून को रानीगंज के नारायणकुड़ी में मथुराचंडी मंदिर के पास रविंद्र नजरुल संध्या का आयोजन किया गया है। रविवार को गंधर्व कला संगम की मैनेजिंग चेयरपर्सन सरस्वती चटर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह जानकारी दी। इस मौके पर गंधर्व कला संगम के शाखा अध्यक्ष प्रदीप कुमार नंदी, सचिव सुशील गनेड़ीवाल, जगदीश बागड़ी समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 से गंधर्व कला संगम के तरफ से रविंद्र संध्या के नाम से कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। परंतु इसमें इस बार नजरुल संध्या को भी समाहित किया गया है और कार्यक्रम का नाम रविंद्र नजरुल संध्या दिया गया है। आगामी 1 जून को कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नारायणकुड़ी के ऐतिहासिक महत्व एवं विरासत के प्रति ध्यान आकृष्ट करना है। अगर संस्था चाहती तो किसी प्रेक्षागृह अथवा ऑडिटोरियम में कार्यक्रम का आयोजन हो सकता था। परंतु मथुराचंडी के ऐतिहासिक महत्व एवं विरासत को सामने लाने के लिए रविंद्र एवं नजरुल संध्या के लिए इस जगह को चुना गया है। कविगुरु रविंद्र नाथ टैगोर के दादा प्रिंस द्वारकानाथ ठाकुर ने सन 1832 में नारायणकुड़ी से कोयला खनन की शुरुआत की थी। इसलिए इस जगह का ऐतिहासिक महत्व है और युवा पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने की जरूरत है।
गंधर्व कला संगम के शाखा सचिव शुशील गनेरीवाल ने कहा कि नारायणकुड़ी में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। इसके साथ ही इस क्षेत्र का तेजी से विकास भी हो रहा है यहां पर भव्य प्रवेश द्वार के निर्माण के साथ ही सुंदरीकरण का कार्य भी चल रहा है।